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भोजन का अधिकार और राजनीति ??????

Najariya.......
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वाह जी वाह अब भोजन के लिए भी कानून ……और उस पर भी राजनीति
मायावती जी और राहुल जी के बीच सत्ता की लडाई मायावती जी ने कहा कि भोजन का अधिकार कानून ‘अव्यावहारिक’ है और इससे राज्यों पर बहुत अधिक व्यय भार पड़ेगा उसपर राहुल जी ने कहा कि भोजन का अधिकार कानून लागू होने के बाद देश में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा। इसके तहत हर परिवार को 35 किलोग्राम अनाज दिया जाएगा | और कहा कि पिछले 22 वर्षो के दौरान गैरकांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश बहुत पिछड़ गया है। अब राहुल जी से सवाल ये है कि जहाँ उनकी सरकार (कोंग्रेस) नहीं है वो राज्य पिछड़े है और केंद्र में जो उनकी सरकार है उसने देश को कौन सा विश्व का सिरमोर बना दिया है देश की सरकार राज्य सरकार से बड़ी होती है ये बात शायद उनको समझ नहीं आती | और रही बात मायावती जी की उन्होंने तो घर के टुकड़े करने का मन बना लिया है अब टुकड़े होने पर कही न कही तो उनकी सरकार बन ही जायगी | उन्हें भी ये बात समझनी चाहिए तरक्की तोड़ने से नहीं जोड़ने से होती है |

अब बात जनता की, कि उसे क्या मिला उसे तो आज़ादी के ६५ साल में कुछ नहीं मिला तो अब ये लोग क्या दे देंगे एक केंद्र में है तो दूसरी राज्य में | कोई जनता के लिए कुछ नहीं करता बस उसे सब्ज बाग़ दिखा कर अपना उल्लू सीधा करते है , अब ये जनता को भी समझ लेना चाहिए और जितनी जल्दी समझ जाएगी इन् सब्जबाग सपनों कि हकीकत जान जाएगी |

और “भोजन का अधिकार कानून” बनाने से देश की भूख नहीं मिटेगी, भूख मिटेगी साक्षर होने से, बेरोजगारी खत्म होने से, भ्रष्टाचार ख़त्म होने से, आर्थिक स्तर पर आरक्षण होने से | ऐसे न जाने कितने कानून बनने चाहिए जो इन से लड़ सके आज देश में एक चपरासी के यहाँ से १० करोड़ निकलता है तो एक क्लर्क के यहाँ ४० करोड़ एक नेता न जाने कितने करोड़ खा जाता है | कानून बनाओ परन्तु ऐसे कृत्यों के लिए भोजन का अधिकार हर इंसान का अधिकार है वो भी उस परम पिता का दिया हुआ उस पर राजनीति मत करो ….. मत करो

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