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यक़ीनन हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है परन्तु हम हमेशा अहिंसा के साथ नहीं रह सकते | अपने बचाव के लिए किये गए प्रहार को हम हिंसा नहीं कह सकते | वास्तविकता में हिंसा या अहिंसा की परिभाषा परिस्थितियों के अनुसार ही होनी चाहिए यदि ऐसा नहीं होता तो भगवान राम कभी रावण को और भगवान कृष्ण कभी कंस को नहीं मारते, तो क्या इसका ये मतलब हुआ की वे हिंसक थे ? नहीं ! कभी नहीं ! उन्होंने अपने देश और मानवों पर हो रहे अत्याचार से निजात दिलाने के लिए ही उन्होंने उन अत्याचारियों को मारा |
कोई भी धर्म ये नहीं कहता कि अपना बचाव मत करो | भारत देश जो कि हिंसा का सबसे ज्यादा विरोध करता है उसकी सेना भी विश्व में दूसरी सबसे बड़ी सेना है, और ये अपने बचाव के लिए ही तो है | फिर हम अफजल गुरु और कसाब जैसे आतंकियों को क्यों पाल रहे है उन्हें मार देना ही मानवता और देश के हित में है, नहीं तो फिर तैयार हो जाये एक और धमाके के लिए, एक और आतंकी आक्रमण के लिए | जब तक हमारे देश में आतंकियों को संरक्षण दिया जाता रहेगा, जनता को ये सब झेलना पड़ेगा |
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